परिभाषा
अर्थशास्त्र एक विज्ञान है, जो मानव व्यवहार का अध्ययन उसकी आवश्यकताओं(इच्छाओं) एवं उपलब्ध संसाधनों के वैकल्पिक प्रयोग के मध्य संबंध का अध्ययन करता है। अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री का संकेत इसकी परिभाषा से मिलता है। अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण, विनिमय और उपभोग का अध्ययन किया जाता है। 'अर्थशास्त्र' शब्द संस्कृत शब्दों अर्थ (धन) और शास्त्र की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है - 'धन का अध्ययन'। अर्थशास्त्र का शाब्दिक अर्थ है धन का शास्त्र अर्थात धन के अध्ययन के शास्त्र को अर्थशास्त्र कहते हैं।
- प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एडम स्मिथ ने 1776 में प्रकाशित अपनी पुस्तक (An enquiry into the Nature and the Causes of the Wealth of Nations ) में अर्थशास्त्र को धन का विज्ञान माना है।
- डॉ॰ मार्शल ने 1890 में प्रकाशित अपनी पुस्तक अर्थशास्त्र के सिद्धान्त (Principles of Economics) में अर्थशास्त्र की कल्याण सम्बन्धी परिभाषा देकर इसको लोकप्रिय बना दिया।
- ब्रिटेन के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री लार्ड राबिन्स ने 1932 में प्रकाशित अपनी पुस्तक, ‘‘An Essay on the Nature and Significance of Economic Science’’ में अर्थशास्त्र को दुर्लभता का सिद्धान्त माना है। इस सम्बन्ध में उनका मत है कि मानवीय आवश्यकताएं असीमित है तथा उनको पूरा करने के साधन सीमित है।
- आधुनिक अर्थशास्त्री सैम्यूल्सन (Samuelson) ने अर्थशास्त्र को विकास का शास्त्र (Science of Growth ) कहा है।
- आधुनिक अर्थशास्त्री कपिल आर्य (Kapil Arya) ने अपनी पुस्तक "अर्थमेधा" में अर्थशास्त्र को सुख के साधनों का विज्ञान माना है |
एडम स्मिथ की अर्थशास्त्र की परिभाषा पर आलोचना
जैसा कि एडम स्मिथ ने अर्थशास्त्र को धन का विज्ञान घोषित किया। 19 वीं शताब्दी के कुछ अर्थशास्त्रियों ने इस परिभाषा की आलोचना की। सबसे पहले कार्लाइल और रस्किन ने इसे "निराशाजनक और सुअर विज्ञान" घोषित किया जो स्वार्थ सिखाता है। एडम स्मिथ की परिभाषा पर मुख्य आलोचनाएँ संक्षेप में नीचे दी गई हैं।
1. धन के लिए बहुत अधिक महत्व
एडम स्मिथ द्वारा अर्थशास्त्र की परिभाषा धन को प्राथमिक महत्व देती है और मनुष्य को द्वितीयक।
यह जोर अब धन से मनुष्य की ओर स्थानांतरित हो गया है। मनुष्य प्राथमिक स्थान रखता है और धन द्वितीयक। वास्तविक तथ्य यह है कि मनुष्य धन के अध्ययन से अधिक महत्वपूर्ण है।
2. धन का संकीर्ण अर्थ
परिभाषा में "धन" शब्द का अर्थ केवल भौतिक सामान जैसे वाहन, उद्योग, कच्चा माल, बैंक आदि है। इसमें डॉक्टर, वकील और शिक्षकों की सेवाएं जैसे अभौतिक सामान शामिल नहीं हैं। आधुनिक अर्थशास्त्र की परिभाषा में "धन" शब्द में भौतिक और अभौतिक दोनों प्रकार के सामान शामिल हैं।
3. आर्थिक मनुष्य की अवधारणा
इसके अनुसार मानव गतिविधियों का मुख्य उद्देश्य केवल अधिक से अधिक धन अर्जित करना है। दूसरे शब्दों में वह केवल अपने स्वार्थ के लिए कमाता है और सामाजिक हित को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया जाता है। लेकिन अल्फ्रेड मार्शल और उनके अनुयायियों ने बताया कि अर्थशास्त्र उस व्यक्ति का अध्ययन नहीं करता है जो केवल अपने हित के लिए काम करता है, बल्कि एक आम आदमी का अध्ययन करता है।
4. मानव कल्याण
मार्शल की दूसरी आपत्ति यह है कि आदम की अर्थशास्त्र की परिभाषा में मानव कल्याण का उल्लेख नहीं किया गया है। उन्होंने धन पर बहुत जोर दिया है। धन अंत का साधन है, अंत मानव कल्याण है।
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