Tally क्या है और कैसे सीखे?



Tally का फूल फ़ॉर्म क्या है?

Tally का फूल फ़ॉर्म है Transactions Allowed in a Linear Line Yards. Tally भारत में प्रयोग होने वाला सबसे पॉपुलर अकॉउंटिंग सॉफ्टवेयर है. Tally Solutions Pvt. Ltd. एक मल्टीनेशनल कंपनी है जिसने Tally का निर्माण किया है. इसका Headquarter भारत के बैंगलोर शहर में स्थित है. कंपनी के रपोर्ट के मुताबिक tally सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल 10 लाख से ज्यादा लोग करते हैं.

टैली करने के फायदे

स्टूडेंट्स पढाई करने के दौरान बहुत असमंजस में फंसे रहते हैं की पढाई में कौन सी लाइन चुने? कौन सा कोर्स करने से फायदा है और उसमे करियर बनाने का चांस ज्यादा है. मैं यहाँ वैसे स्टूडेंट्स के लिए मार्गदर्शन के रूप में विकल्प लेकर आया हूँ जिन्होंने 12 वीं में कॉमर्स की पढाई की है. ऐसे स्टूडेंट्स के लिए Tally course करना करियर बनाने के लिए बहुत अच्छा विकल्प है.

स्टूडेंट्स अक्सर 12 वीं के बाद ये सोचते हैं की अपना करियर कहाँ बनाये? क्या करे की अछि जॉब मिल सके? कुछ ऐसे स्टूडेंट्स भी होते हैं जो गरीब परिवार से होते हैं और अच्छा कोर्स नहीं कर पाते. ऐसे लोग ये चाहते हैं की काम समय में कोई कोर्स कर के अच्छी जॉब कर सके. तो मैं यहाँ आप को ये बताना चाहते आपकी इस खवाहिश को Tally course कर के आप पूरा कर सकते हैं.

जी हाँ आपने सही सुना Tally आज के समय काफी प्रचलित सॉफ्टवेयर है और इस पर काम जानने वाले बहुत काम लोग हैं. इसीलिए इसमें जॉब ऑफर मिलने के बहुत अच्छे चांस हैं और आप अच्छा पैसा कमा सकते हैं.

हर तरफ Tally का डिमांड दिनबदिन बढ़ता जा रहा है. इस कोर्स को करने के लिए ज्यादा पैसे भी खर्च करने की जरुरत नहीं है.

टैली कैसे सीखे

दोस्तों शुरुआत में जब आप Tally में काम करने जाते हैं तो ये काफी मुश्किल लगता है. टैली सीखना इतना आसान नहीं है, और मेरी माने तो इतना मुस्किल भी नहीं है. एक तो इसमें माउस का काम नहीं होता बल्कि सारा काम  Keyboard से करना होता है. साथ ही इस पर काम करना आसान है लेकिन अगर आप इस के बारे में सिख जाते हैं

Capital – जब कोई पैसा व्यापर के लिए लगता है तो उस रकम को capital बोलते हैं. इसके अलावा इसे equity भी बोलते हैं.

Transaction – लेन देन करने के प्रोसेस को ही ट्रांज़ैक्शन बोलते हैं. इसमें सर्विसेस और प्रोडक्ट्स का एक्सचेंज किया जाता है.

Discount – अपनी प्रोडक्ट और सेवा के इस्तेमाल को बढ़ाने के लिए जब कोई कंपनी मालिक अपने कस्टमर को डिस्काउंट के रूप में कुछ रकम वापस देता है. Discount 2 तरह के होते हैं.

Trade Discount – ये डिस्काउंट सेलर अपने कस्टमर को लिस्टेड प्राइस पर प्रेजेंट के रूप में देता है.

Cash Discount – ये कस्टमर को सही समय पर बिल करने पर कॅश के रूप में दिया जाता है.

Liability – ये वैसे सामान होते हैं जो किसी से कर्ज के रूप में लिए जाते हैं.

Assets – बिज़नेस से जुडी जितने भी चीज़ें होती हैं उन्हें Assets बोला जाता है.


Tally 28 Groups In Hindi

 1. Bank Accounts :- Bank Accounts Group इस Group में सभी बैंक खातों को शामिल किया जाता है। बैंक लोन अकाउंट को छोड़कर। जैसे :-

IDBI Bank A/c

 

HDFC Bank A/c

 

Bank of India A/c

 

IDFC Bank A/c

2. Bank OCC A/c :- Bank OCC A/c यानि Bank open cash credit A/c इस Group में सभी Bank Loan OCC A/c को शामिल किया जाता है। यदि हमने किसी बैंक से लोन लिया है। तो उस खाते को Bank OCC A/c Group में शामिल किया जायगा। जैसे :-

 

IDBI Bank Loan  A/c

 

HDFC Bank Loan A/c

 

Bank of India Loan A/c

 

IDFC Bank Loan  A/c

 

3. Bank OD A/c :- Bank OD A/c यानि Bank Overdraft A/c इस Group में सभी Bank Overdraft A/c को शामिल किया जाता है। यदि हमने किसी बैंक में खाते को Overdraft किया है। तो उसे इस Group में शामिल किया जाता हैै। जैसे :-

IDBI Bank OD  A/c

 

HDFC Bank OD A/c

 

Bank of India OD A/c

 

IDFC Bank OD A/c

4. Branch/Divisions :- यदि हमारी कंपनी में बड़े पैमाने पर काम होता है अर्थात हमारी कंपनी नई किसी अन्य क्षेत्र में भी Branch है। और हमें उन ब्रांचो से भी पैसा आता है। तो उस सभी Branch/Divisions से संबधित खातों को Branch/Divisions  Group में रखा जाता है। इस ग्रुप का नेचर Asset होता है।  जैसे :-

xyz Textiles Burhanpur A/c

 

xyz Textiles Indore A/c

 

xyz Textiles Bhopal A/c

 

xyz Textiles Surat A/c 

5. Capital Account :- Capital Account इस Group में Compeny के मालिक के खातों (Ledgers) को शामिल किया जाता है। जैसे :- यदि किसी कंपनी का मालिक Ram है। तो 

Ram A/c

6. Cash-in-Hand :- Tally में Cash का Ledger बनाने की जरुरत नहीं होती है। क्योकि Tally में पहले से ही Cash का Account बना होता है। फिर भी कभी कभी कंपनी द्वारा Petty Cash का खाता बनाया जाता है। जैसे :-

Petty Cash  A/c

7. Current Assets :- Current Assets जिसे हम चालू सम्पत्तिया भी है। यानि वे सभी प्रकार की सम्पत्तियाँ जिसे आसानी से cash मे बदला सकता है। Current Assets कहलाती है। यदि हमने किसी फर्म, कंपनी  या व्यक्ति, को Advance Payment दिया है। तो उस Ledgers को  हम Current Assets Group देगे। जैसे :-

Prepaid Maintenance Expense

 

Prepaid Rent

 

Mutual Fund

 

CGST Credit

 

SGST Credit

 

IGST Credit

 

Prepaid Insurance Charges


8. Current Liabilities :- Current Liabilities जिसे हम चालू दायित्व भी कहते हैं। यदि हमने किसी फर्म, कंपनी या व्यक्ति आदि से कोई Advance Payment या Loan लिया है। तो उस Ledgers को  हम Current Liabilities Group देगे। जैसे :-

All Bill Payable

 

CGST Payable

 

SGST Payable 

 

IGST Payable 

9. Deposits (Asset) :- यदि हमने हमारे व्यवसाय मे यदि कोई investment या कोई fix Deposits किया हो और हमे पता है कि इतने Year बाद हमारा investment पूरा होगा तो हम ऐसे Ledger  को बनाते समय Deposits (Assets) Group  देगे। जैसे :-

Security Deposit

 

Office Rent Deposit

 

Electricity Deposit

 

All Type Deposit ect.


10. Direct Expenses :- यदि हमारे व्यवसाय मे कोई प्रत्यक्ष व्यय  होते है। अर्थात्‌ ऐसे व्यय जो वस्तुओ के खरीदते समय या वस्तुओ के उत्पादन के समय लगते हैं। तो उन सभी व्ययों के Ledger बनाते समय उन्हें Direct Expenses Group देगे। जैसे :-

Sizing Charges 

 

Frieght Exp.

 

Hammali Exp.

 

Transport Exp. 

 

Weaving Charges ect.


11. Direct Incomes :- यदि व्यवसाय मे किसी तरह की प्रत्यक्ष आय होती है। अर्थात ऐसी आय जो माल (Goods) को sale करने से संबंधित हों तो ऐसी आय के Ledger बनाते समय Direct Income Group देगे। जैसे :-

Freight Charges Income

 

Transport Charges Income

 

All Income Form Service ect.


12. Duties & Taxes :- व्यवसाय मे सभी प्रकार के Tax से संबंधित खातों (Ledgers) के लिए Duties & Tax Group दिया जाता है। जैसे :-

Input CGST

 

Input SGST

 

Input IGST

 

Input Cess

 

Output CGST

 

Output SGST

 

Output IGST

 

Output Cess

 

TDS Payables

 

Input Vat Tax

 

Output Vat Tax 

 

Excise Duty Payable

 

Service Tax Payable etc.

13. Expenses (Direct) :- यदि हमारे व्यवसाय मे कोई प्रत्यक्ष व्यय होते है। अर्थात्‌ ऐसे व्यय जो वस्तुओ के खरीदते समय या वस्तुओ के उत्पादन के समय लगते हैं। तो उन सभी व्ययों के Ledger बनाते समय उन्हें Expenses (Direct) Group देगे। जैसे :-

Freight Expenses 

 

Wages Expenses 

 

Freight of Production

 

Carriage Expenses 

 

Power Expenses ect.

14. Expenses (Indirect) :- यदि हमारे व्यवसाय मे कोई अप्रत्यक्ष व्यय होते है। अर्थात्‌ ऐसे व्यय जो वस्तुओ के खरीदते समय या वस्तुओ के उत्पादन के समय से संबंधित नहीं होते है। तो उन सभी व्ययों के Ledger बनाते समय उन्हें Expenses (Indirect) Group देगे। जैसे :-

Legal Expenses/Charges

 

Salary

 

Audit Fees

 

Professional Charges

 

Fuel Expenses A/c

 

Telephone charge

 

Postage & courier Expenses 

 

Legal charge

 

Bank charges

 

Penalty

 

Interest Expense

 

Depreciation Expenses

 

Penalty

 

Tea & Water Expenses 

 

All Indirect Expenses ect.

 

15. Fixed Assets :- व्यवसाय मे उपस्थिति सभी प्रकार की  स्थाई संपत्तियों के Ledgers बनाते समय Fixed Assets Group देगे। ये स्थाई सम्पत्तियाँ व्यवसाय के संचालन मे भी सहायक होती है। जैसे :-

Land

 

Computer

 

Printer

 

Bike 

 

Laptop ect.


16. Income (Direct) :- यदि व्यवसाय मे किसी तरह की प्रत्यक्ष आय होती है। अर्थात ऐसी आय जो माल (Goods) को sale करने से संबंधित हों तो ऐसी आय के Ledger बनाते समय Income (Direct) Group देगे। जैसे :-

Freight Charges Income

 

Transport Charges Income

 

All Income Form Service ect.

 

17. Income (Indirect) :- यदि व्यवसाय मे किसी तरह की  अप्रत्यक्ष आय होती है। अर्थात ऐसी आय जो माल (Goods) को sale करने से संबंधित नहीं होती है। ऐसी आय के Ledger बनाते समय Income (Indirect) Group देगे। जैसे :-

Advertisement

Interest Received

 

Discount Received ect.

18. Indirect Expenses :- ऐसे खर्च जो व्यवसाय मे वस्तुओं केे खरीदते समय या वस्तुओं के उत्पादन से संबधित नहीं होते हैं। तो  ऐसे खर्चों के Ledgers बनाते समय उन्हें Indirect Expenses Group देगे। जैसे :-

Legal Expenses/Charges

 

Salary

 

Audit Fees

 

Professional Charges

 

Fuel Expenses A/c

 

Telephone charge

 

Postage & courier Expenses 

 

Legal charge

 

Bank charges

 

Penalty

 

Interest Expense

 

Depreciation Expenses

 

Penalty

 

Tea & Water Expenses 

 

All Indirect Expenses ect.


19. Indirect Incomes :- यदि व्यवसाय मे किसी तरह की अप्रत्यक्ष आय होती है। अर्थात ऐसी आय जो माल (Goods)  sale करने से संबंधित नहीं होती है। तो उन सभी आय के Ledgers बनाते  समय Indirect Incomes Group देगे। जैसे :-

Interest Received

 

Discount Received ect.


20. Investments :- यदि व्यवसाय में हम कोई लंबी अवधि  के लिए निवेश करते है। और हमे  पता ही नहीं होता है कि  इस निवेश से Profit  होगा या Loss होगा।  तो ऐसे  निवेश (Investments) के  खातों (Ledgers) को Investment Group देगे। जैसे :-

Long term investment

 

Investment in Shares

 

Mutual Fund 

 

Short Term Investment ect. 

21. Loans & Advances (Asset) :- यदि हम व्यवसाय मे किसी पार्टी को Advance Payment या Loan देते हैं। तो ऐसे Ledgers को Loans & Advances (Asset) Group देते हैं। जैसे :-

Loan Give to Friends, Relatives and company. ect.

22. Loans (Liability) :- यदि हम व्यवसाय मे किसी पार्टी से Advance Payment या Loan लेते हैं। तो ऐसे Ledgers को Loans (Liability) Group देते हैं। जैसे :-

Loan From Outside Party ect.

23. Provisions :- उन सभी खातों (Ledgers) को Provisions Group देंगेे। जिनका भुगतान हमें भविष्य में करना होता है। जैसे :-

Audit Fees Payable 

 

TDS Payable 

 

All Type Payable 


24. Purchases Accounts :- व्यवसाय मेे माल खरीदी (Goods Purchase) के सभी खातों (Ledgers) को Purchase Accounts Group देते हैै। तथा Purchase Return के खातों को भी यही Group दिया जाता हैै। जैसे :-

Purchase Local 

 

Purchase Interstate

 

Purchase Local Nil Rated

 

Purchase Interstate Nil Rated

 

Purchase (Composition)

 

Purchase Exempt (Unregistered Dealer)

 

Purchase Return ect.


25. Reserves & Surplus :- आरक्षितयाँ और अधिशेष से संबधित खातों को Reserves & Surplus Group देंगे। जैसे :- 


General Reserve



All Type Reserve ect.

26. Sales Accounts :- व्यवसाय में जो मॉल (Goods) बेचा जाता है। उन सभी खातों को Sales Accounts Group दिया जाता है। तथा Sales Return के खातों को भी यही Group दिया जाता है। जैसे :-

 Sales Local

 

 Sales Interstate 

 

Sales Local Nil Rated

 

Sales Interstate Nil Rated

 

Sale To Consumer

 

Sale Return ect.


27. Secured Loans :- यदि व्यवसाय में हमने ऐसा कोई Loan लिया है। Bank को छोड़कर जिसमे कोई Security रखना होती है। तो उन सभी खातों (Ledgers) को Secured Loan Group देंगे। जैसे :-

Gold Loan

 

Car Finance Loan 

 

Bajaj Finance Loan ect.

28. Stock-in-Hand :- व्यवसाय में Stock से संबधित खातों को Stock-in-Hand Group देंगे। जैसे :-

Opening Stock

 

Closeing Stock ect.

29. Sundry Creditors :- व्यवसाय में जिन व्यक्ति, संस्था,फर्म या कंपनी आदि से हम उधार मॉल (Goods) खरीदते (Purchase) है। तथा जिन पार्टीओ को हमें पैसे देने होते है। उन सभी व्यक्ति, संस्था, फर्म या कंपनी आदि के खातों (Ledgers) को Sundry Creditors Group देते है।

30. Sundry Debtors :- व्यवसाय में जिन व्यक्ति, संस्था,फर्म या कंपनी आदि को  हम उधार मॉल (Goods) बेचते (Sales) है। तथा जिन पार्टीओ को हमें पैसे लेने होते है। उन सभी व्यक्ति, संस्था, फर्म या कंपनी आदि के खातों (Ledgers) को Sundry Debtors Group देते है।

31. Suspense A/c :- यदि व्यवसाय में किसी Party का Payment या Receipt का पता नहीं होता है। तो ऐसे खातों को Suspense A/c Group देते है।