शेयर मार्किट या शेयर बाज़ार क्या है ? Stock OR Offer Market Made sense of in Hindi
शेयर मार्केट के लेकर आम लोगो में यह धारणा होती है, कि यहाँ पर जितनें भी लोग पैसा इन्वेस्ट करते है, उनमें से ज्यादातर लोगो का पैसा डूब जाता है | जबकि ऐसा बिल्कुल भी नही है, यदि आपको शेयर मार्केट के बारे में अच्छी जानकारी है और आप इसमें अपना पैसा सोच समझकर पूरी सतर्कता से करते है, तो यह मार्केट आपको बादशाह बना सकती है |
दरअसल यह एक ऐसा बाजार है, जहां कंपनियों या संस्थाओं के शेयर जारी किए जाते हैं, और एक्सचेंजों के माध्यम से सूचीबद्ध डीलरों या दलालों के माध्यम से कारोबार किया जाता है। आज हम आपको अपने इस लेख में शेयर मार्केट अर्थात शेयर बाज़ार के बारें में विस्तार से जानकारी दे रहे है | तो आईये जानते है, कि शेयर मार्किट या शेयर बाज़ार क्या है (Stock OR Offer Market Made sense of in Hindi) के बारें में |
शेयर या स्टॉक मार्किट क्या है (Stock OR Offer Market Made sense of in Hindi)
शेयर मार्केट या स्टॉक मार्केट एक ऐसा स्थान है, जहाँ पर बहुत सी कम्पनियों के शेयर को खरीदनें और बेचने का कार्य किया जाता है | मार्केट के अनुसार इसमें उतार-चढ़ाव के चलते शेयर्स के दाम घटते और बढ़ते हैं | शेयरों के इसी उतार-चढ़ाव के कारण प्रतिदिन यहां कुछ लोग काफी पैसा कमा लेते है और कुछ लोग अपना सारा पैसा गवा देते हैं। दरअसल किसी कंपनी का शेयर खरीदने का सीधा अर्थ यह है, कि आप उस कम्पनी या संस्था के पार्टनर या भागीदार बन गये |
यदि किसी कम्पनी ग्रोथ होती है, तो इसका सीधा मतलब यह है कि आपका फायदा हुआ और यदि कम्पनी को किसी प्रकार से लॉस होता है तो इसका मतलब आपका लॉस हुआ | आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि कपनी की ग्रोथ और लॉस पर हर सेकंड नज़र रखी जाती है | जिससे अधिक से अधिक पैसा कमाने की तरकीब और कम से कम नुकसान की तरकीब लगाई जाती है।
इस मार्केट में आप जितनें भी शेयर्स खरीदेंगे अर्थात आप जितना भी पैसा लगाएंगे उसी के अनुसार उस कंपनी कुछ प्रतिशत के मालिक हो जाते हैं। शेयर मार्केट में जितनी भी कम्पनियां लिस्टेड होती है, उन सभी की अपनी एक मार्केट वैल्यू होती है | इसी मार्केट वैल्यू के अनुसार उस कम्पनी के शेयर्स की कीमत भी निर्धारित होती है। जो हर समय बदलती रहती है, जिससे प्रॉफिट या लॉस का कैलकुलेशन किया जाता है | आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि शेयर्स खरीदनें और एक नेटवर्क के माध्यम से किया जाता है। आज के टेक्नोलॉजी युग में ज्यादातर लोग अपने घर से बैठे-बैठे शेयर्स के प्रोग्रेस की जानकारी प्राप्त करनें के साथ ही उन्हें खरीद और बेचसकते हैं |
शेयर मार्किट के प्रकार (Offer Or Securities exchange Types)
शेयर मार्किट 2 प्रकार के होते हैं, इनका विवरण इस प्रकार है
प्राथमिक शेयर बाजार (Essential Offer Market)
प्राथमिक शेयर बाजार के अंतर्गत कंपनियां अपने शेयर जारी करने और धन एकत्र करनें के लिए स्वयं को पंजीकृत करती हैं। इस प्रक्रिया को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग के रूप में भी जाना जाता है। प्राथमिक बाजार में प्रवेश करने का उद्देश्य धन जुटाना है और यदि कंपनी पहली बार अपने शेयर बेच रही है, तो इसे प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (Initial public offering) कहा जाता है। इस प्रक्रिया के माध्यम सेकंपनी एक सार्वजनिक इकाई (Public Substance) बन जाती है।
द्वितीयक बाजार (Optional Offer Market)
प्राथमिक बाजार में नई प्रतिभूतियों के बेचे जाने के बाद कंपनी के शेयरों का द्वितीयक बाजार में कारोबार होता है। इस तरह निवेशक अपने शेयर बेचकर बाहर निकल सकते हैं। द्वितीयक बाजार में होने वाले यह लेन-देन व्यापार कहलाते हैं। इसमें निवेशकों की एक-दूसरे से खरीदारी करने और सहमत मूल्य पर आपस में बेचने की गतिविधि शामिल है। एक दलाल या ब्रोकर एक मीडिएटर का कार्य करता है, जो इन लेन-देन की फैसिलिटी देता है।
आपको शेयर कब खरीदना चाहिए (When Would it be advisable for you to Purchase Offers?)
जिस प्रकार आप मार्केट से किसी घरेलू वस्तु को खरीदनें से पहले उसकी पूरी जानकारी प्राप्त करते है उसके बाद ही उसे खरीदते है | ठीक उसी प्रकार शेयर खरीदनें अर्थात पैसा इन्वेस्ट करने से पहले आपको यहाँ के काम करने के तरीके जैसे- यहाँ पैसा कब और कैसे इन्वेस्ट करना चाहिए आदि के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर लेना चाहिए | उसके बाद ही पैसा इन्वेस्ट करना चाहिए, ताकि आपको किसी प्रकार का लॉस न उठाना पड़े | जब आपको इस बात का पूरा भरोसा हो जाए कि आप शेयर खरीदनें और बेचनें के मामले में पूरी तरह से निपुण हो चुके है, तभी इसमें पैसा इन्वेस्ट करनें की तरफ कदम बढ़ाये |
दरअसल यह मार्किट जोखिमों से भरी हुई है और यहाँ जरा सी चूक आपको एक बड़ा नुकसान पंहुचा सकती है | वैसे तो इस मार्केट में आपको पैसे तभी इन्वेस्ट करना चाहिए जब आपकी आर्थिक स्थिति काफी मजबूत हो, ताकि लॉस होनें पर आपके ऊपर कोई खास फर्क न पड़े | हालाँकि यह जरूरी नही है, कि यहाँ नुकसान होना निश्चत है | यदि आप सोच समझकर और पूरी सतर्कता से पैसा इन्वेस्ट करते है तो प्रॉफिट कम सकते है | इस क्षेत्र में जैसे-जैसे आपका अनुभव और ज्ञान बढ़ता जायेगा वैसे वैसे आप धीरे धीरे अपने इन्वेस्टमेंट को बढ़ाने का जोख़िम उठा सकते हैं। इसके साथ ही आपके अन्दर यह स्किल होना चाहिए कि कहीं यह कम्पनी फ्राड तो नही हैं?
शेयर मार्केट में पैसा कैसे इन्वेस्ट करे (The most effective method to Put Cash in Financial exchange)
शेयर मार्केट में पैसा इन्वेस्ट करनें के लिए आपके पास एक डीमैट अकाउंट होना चाहिए | डीमैट अकाउंट खुलवाने के 2 तरीके है | पहले तरीके के अंतर्गत आप किसी ब्रोकर या दलाल के पास जाकर या उनसे फ़ोन द्वारा संपर्क कर डीमैट अकाउंट खुलवा सकते है | दूसरे तरीके के अंतर्गत आप अपने नजदीकी किसी बैंक में जाकर यह अकाउंट खुला
निफ्टी क्या होता है (Clever Kya Hai)
निफ्टी नेशनल फिफ्टी का संक्षिप्त रूप है। यह भारत के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध पचास शेयरों पर एक सूचकांक है। इसमें भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के 50 शेयर शामिल हैं। तो, इसे आमतौर पर निफ्टी 50 के रूप में भी जाना जाता है। जब आप निफ्टी फ्यूचर खरीदते हैं, तो इसका मतलब है कि आपने कंपनी के 50 शेयरों में निवेश किया है, जो सामूहिक रूप से निफ्टी इंडेक्स का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। यह मूल रूप से 50 शेयरों में आपके निवेश का आटोमेटिक डायवर्सिफिकेशन है।
उदाहरण के रूप में, यह बिल्कुल आपकी कार के फ्यूल इंडिकेटर की तरह है। जब फ्यूल इंडिकेटर रेड ज़ोन में होता है, तो आप समझते हैं कि आपका फ्यूल टैंक खाली होने वाला है और आपको इसे फिर से भरना होगा वरना आपकी कार चलना बंद हो जाएगी। इसी तरह, जब आप अपना टैंक भर रहे होते हैं और ग्रीन ज़ोन में इंडिकेटर फुल हो जाता है, तो आप समझते हैं कि आपका टैंक भर गया है और आपको इसे भरना बंद कर देना चाहिए अन्यथा यह टैंक से बाहर निकल जाएगा। इसी तरह से निफ्टी इंडेक्स 50 कंपनियों का गठन करता है जिन्हें देश की अर्थव्यवस्था मूवर्स और शेकर्स माना जाता है। 50 में से प्रत्येक कंपनी निफ्टी इंडेक्स में कुछ वेटेज का योगदान करती है और इसका गिरना और बढ़ना हमारी अर्थव्यवस्था की स्थिति को इंगित करता है।
सेंसेक्स और निफ्टी के बीच प्रमुख अंतर (Sensex Between Clever Contrast)
- नेशनल फिफ्टी को निफ्टी माना जाता है, जबकि सेंसिटिव इंडेक्स को सेंसेक्स माना जाता है।
- निफ्टी, एनएसई (Public Stock Trade) से संबंधित है जबकि सेंसेक्स बीएसई (Bombay Stock Trade) से संबंधित है।
- निफ्टी एनएसई पर भारी कारोबार करने वाली शीर्ष कंपनियों का संकेतक है, जबकि सेंसेक्स बीएसई पर भारी कारोबार करने वाली शीर्ष कंपनियों का संकेतक है।
- निफ्टी और सेंसेक्स के बीच बड़ा अंतर यह है, कि निफ्टी में 50 कंपनियां इंडेक्स होती हैं जबकि सेंसेक्स में 30 कंपनियां इंडेक्स होती हैं।
सेंसेक्स और निफ्टी दोनों स्टॉक एक्सचेंज इंडेक्स हैं, जो शेयर बाजार के प्रदर्शन को निर्धारित करते हैं। दूसरे शब्दों मेंयह शेयर मार्किट की गति अर्थात उतार-चढ़ाव के स्पष्ट संकेतक हैं। इनके माध्यम से आपको यह जानकारी प्राप्त होती है, कि अधिकांश प्रमुख स्टॉक ऊपर या नीचे गए हैं या नहीं। इसलिएजब निफ्टी और सेंसेक्स ऊपर जाते हैं, तो आपको शेयर बाजार में तुरंत खुशी की लहर दिखाई देती है। आप स्टॉक ट्रेडिंग गतिविधियों में एक उत्साह दिखाई पड़ने लगता है| इसके अलावाबाजार सूचकांक में वृद्धि देश के आर्थिक विकास की ओर निर्देशित करती है।
सेंसेक्स की गणना कैसे की जाती है (How is the Sensex determined?)
इससे पहलेसेंसेक्स की गणना भारित बाजार पूंजीकरण पद्धति (Weighted Market Capitalization Strategy) का उपयोग करके की जाती थी। हालांकि1 सितंबर2003 सेबीएसई सेंसेक्स मूल्य की गणना फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइज़ेशन मेथड (Free Float Market Capitalization Technique) का उपयोग करके की जाती है। इसकी गणना में शामिल प्रमुख चरण इस प्रकार है-
1. फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइज़ेशन पद्धति के पहले चरण के रूप मेंइंडेक्स बनाने वाली 30 कंपनियों का चयन किया जाता है। इसके लिए फार्मूला इस प्रकार है-
फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन = मार्केट कैपिटलाइजेशन X फ्री फ्लोट फैक्टर
2. इस गणना मेंबाजार पूंजीकरण कंपनी के बाजार मूल्य के लिए है, इसकी गणना इस प्रकार की जाती है-
बाजार पूंजीकरण = शेयर मूल्य प्रति शेयर * कंपनी द्वारा जारी किए गए शेयरों की संख्या
फ्री फ्लोट फैक्टर एक कंपनी द्वारा जारी किए गए कुल शेयरों का प्रतिनिधित्व करने वाला प्रतिशत है और यह आम जनता के लिए व्यापार के लिए आसानी से उपलब्ध है। यह किसी कंपनी के कुल बकाया शेयरों का भी प्रतिनिधित्व है। प्रमोटरों, सरकार आदि को जारी किए गए शेयर जो बाजार में सार्वजनिक व्यापार के लिए उपलब्ध नहीं हैं|
3. फ्री-फ्लोट बाजार पूंजीकरण का निर्धारण करने के बाद, बीएसई सेंसेक्स के मूल्य की गणना निम्न सूत्र का उपयोग करके की जाती है-

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