जीएसटी क्या है और यह कैसे काम करता है?



जीएसटी एक बहुत ही व्यापक बहु-स्तरीय कर प्रणाली है और माल और सेवाओं की बिक्री पर लागू होती है। इस कराधान प्रणाली का मुख्य उद्देश्य अन्य अप्रत्यक्ष करों की सीमा को रोकने के लिए है और यह पूरे भारत में लागू होता है।जीएसटी का मतलब माल और सेवा कर है। यह एक अप्रत्यक्ष टैक्स है जिसे मूल्यवर्धित टैक्स, सेवा टैक्स, खरीद टैक्स, सीमा शुल्क, जैसे कई अन्य अप्रत्यक्ष टैक्सों को बदलने के लिए पेश किया गया है। जीएसटी को भारत में कई वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया गया है। यह एक कर है जो भारत पर लागू होता है।

जीएसटी का Full Form होता है-

 GST हिन्दी में इसका अर्थ होता है- माल एवं सेवा कर। इसे, वस्तुओं की खरीदारी करने पर या सेवाओं का इस्तेमाल करने पर चुकाना पड़ता है। पहले मौजूद कई तरह के टैक्सों (Excise Duty, VAT, Entry Tax, Service Tax वगैरह ) को हटाकर, उनकी जगह पर एक टैक्स GST लाया गया है। भारत में इसे 1 जुलाई 2017 से लागू किया गया है। सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में यह सिस्टम लागू हो चुका है।.

पहले के टैक्स सिस्टम में क्या थी खामी 

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    जुलाई 2017 के पहले, देश और राज्यों में जो टैक्स सिस्टम लागू था, उसमें कारोबारियों को उत्पादन से लेकर बिक्री तक के बीच में, अलग-अलग स्टेजों पर, तरह के टैक्सों का भुगतान करना पड़ता था। उदाहरण के लिए जैसे ही माल Factory से निकलता था, सबसे पहले उस पर उत्पाद शुल्क (Excise Duty) चुकाना पड़ता था। कई सामानों पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (Additional Excise Duty), अलग से लगता था। वही माल अगर एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजा जा रहा है तो राज्य में घुसते ही Entry Tax लगता था। इसके बाद जगह-जगह चुंगियां अलग से।

    माल बेचते समय, Sales Tax या VAT चुकाना पड़ता था। कई मामलों में Purchase Tax भी लगता था। अगर कोई सामान विलासिता (Luxury) की श्रेणी में आता  है तो Luxury Tax  अलग से चुकाना पड़ता था। वह सामान अगर किसी होटल या रेस्टोरेंट आदि में उपलब्ध कराया जा रहा हो तो Service Tax अलग से देना पड़ता था।

    जीएसटी लागू करने की जरूरत क्यों पड़ी? 

    • भारतीय संविधान में Tax संबंधी जो पुराने नियम थे, उनमें वस्तुओं के उत्पादन (Production/Manufacturing) और सेवाओं पर टैक्स लगाने का अधिकार केंद्र सरकार (Central Government) के पास था। जबकि,वस्तुओं की बिक्री (Sale) पर टैक्स लगाने का अधिकार राज्य सरकारों (State Government) को दिया गया था।
    • सबने अपने-अपने हिसाब से Tax बनाए और Categories तय कर दीं। इसी चक्कर में एक-एक सामान पर कई-कई Tax लद गए। कभी-कभी तो टैक्स के उपर Tax के हालात भी बन गए। छोटे व्यापारियों और कंपनियाें के लिए, इनके  नियम-कानूनों से निपटना बड़ा मुश्किल काम था।
    • इन विसंगतियों को दूर करने के लिए GST को ऐसे एकीकृत कानून के रूप में लाया गया है, ​जो माल एवं सेवा दोनों पर लग सके। और, जिसे Production से लेकर Sale तक लगाया जा सके।

    जीएसटी की प्रमुख विशेषताएं 

    • 1. उत्पादन की बजाय उपभोग पर टैक्स | Tax on Consumption

      GST सिस्टम में, टैक्स की वसूली तब होती है, जब कोई सामान  (goods) या सेवा (service) को बेचा जाता है। वस्तु या सेवा की अंतिम कीमत में उस पर निर्धारित GST टैक्स भी शामिल होता है। वस्तु या सेवा की सप्लाई देने वाला (seller), इसे सप्लाई लेने वाले (Consumer) से वसूलता है। बाद में इसे सरकार के खाते मे जमा कर देता है। मतलब यह कि, GST की वसूली की जिम्मेदारी सामान या service देने वाले पर होती है। किसी वस्तु या सेवा के साथ, जितनी बार खरीद-बिक्री की प्रक्रिया होगी, हर बार GST चुकाना होता है।

      2. इनपुट क्रेडिट सिस्टम से टैक्स वापसी  | Input Credit System

      किसी वस्तु के उत्पादन से लेकर, अंतिम उपभोक्ता के हाथ पहुंचने तक कई बार खरीदे-बेचे जाने की प्रक्रिया होती है। अब चूंकि, GST  सिस्टम में, हर खरीद-बिक्री पर टैक्स चुकाना पड़ता है। ऐसे में, वस्तु, अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचने तक बहुत महंगी हो जानी चाहिए। लेकिन ऐसा होता नहीं है। क्योंकि इसमें Input Credit System लागू होता है। इस सिस्टम में, आ​खिरी स्टेज पर टैक्स लगने से पहले जहां-जहां Tax जमा किया गया है,उसको वापस पाने की भी व्यवस्था है।

      अगर आप अंतिम या वास्त​विक उपभोक्ता नहीं हैं और पहले के किसी Stage में आपने GST जीएसटी जमा किया है तो उसके बदले आपको Credits मिलते हैं। इन Credits का इस्तेमाल आप, सरकार को GST भुगतान के लिए कर सकते हैं।

      हर महीने GST रिटर्न भरने के दौरान आप Tax Credit System के माध्यम से अपना GST एडजस्ट करा सकते हैं। ये Tax Credit System क्या है, इसको अलग से हमने Example के साथ नीचे समझाया है।

      3. टैक्स के ऊपर टैक्स नहीं चढ़ेगा | No Cascading Of Taxes

      GST के पहले जो टैक्स व्यवस्था लागू थी, उसमें न सिर्फ एक वस्तु पर, कई अलग-अलग Tax लगते थे, बल्कि कई मामलों में, टैक्स के ऊपर Tax  भी लग जाते थे। ऐसा इसलिए होता था, क्योंकि बहुत सी वस्तुएं दो या दो से अधिक तरह की  Categories में आ जाती थीं। अब ये दिक्कत खत्म हो गई है। क्योंकि अब GST अंतिम रूप से Consumer को ही अदा करना है। बीच में अगर किसी को GST चुकाना पड़ा है तो, उसका पैसा टैक्स क्रेडिट सिस्टम से Adjust हो जाता है।

      4. पूरी तरह ऑनलाइन सिस्टम | पकड़ में आ जाएगी गड़बड़ी

      GST सिस्टम में सारे सौदों की जानकारी Online अपडेट रखनी है। हर सौदे की रसीद, सप्लाई लेने वाले और सप्लाई देने वाले, दोनों के पास रहेगी। दोनों  अपनी-अपनी रसीदों की मदद से Tax Credit पा सकेंगे। सौदों का ​मिलान न हुआ तो Online ही गडबड़ी पकड़ में आ जाएगी। हर स्टेज पर  GST जमा होने की ​जिम्मेदारी  उपर वाले कारोबारी की होने से Tax भुगतान की चेन नहीं टूटेगी। क्योंकि कोई भी कारोबारी अपने Credit का नुकसान नहीं करना चाहेगा।